भारत में खेती भले ही मजबूरी और दुर्दशा का पर्याय के तौर पर देखी जाती हो, लेकिन देश के विभिन्न हिस्सों में सैकड़ों और किसान और किसान उत्पादक संगठन अपनी मेहनत और कुशलता से खेती का एक अलग ही स्वरूप प्रस्तुत कर रहे हैं। एक ऐसा स्वरूप जो उम्मीद, समृद्धि और खुशियों का दूसरा नाम है। एनसीडीईएक्स आईपीएफ ट्रस्ट डीडी किसान पर प्रसारित होने वाले अपने साप्ताहिक कार्यक्रम मंडी डॉट कॉम के लिए ऐसे किसानों और एफपीओ की कहानियां तलाश कर आपके लिए पेश करता है। उन्हीं कहानियों को आप यहां देख सकते हैं.
Mandi.com: खेती के सिकंदर - Episode- 358
किसान सहयोग प्रोड्यूसर कंपनी की स्थापना मंडी डॉट कॉम में दिखाए गए किसान उत्पादक संगठनों की सफलता से प्रेरित होकर हुई है। आइए देखते हैं मध्य प्रदेश स्थित शिवपुरी जिले के बदरवास तहसील में बना इस एफपीओ की कहानी
मध्य प्रदेश के बैतूल में रहने वाले प्रगतिशील किसान नवनीत वर्मा की कहानी, जो आधुनिक तरीके से सब्जी की खेती कर आत्मनिर्भर बन गये हैं, साथ ही कई अन्य लोगों को भी रोजगार देने का काम कर रहे हैं।
मध्यप्रदेश के बैतूल से खेती के सिकंदर के इस एपिसोड में देखिए कि कैसे छोटे रकबे के कारण आने वाली रुकावटों को दूर कर FPO के सदस्य सामूहिक शक्ति की ताकत से लाभ हासिल कर रहे हैं।
खेती के सिकंदर में महाराष्ट्र के वर्धा जिला में रहने वाली महिला किसानों की कहानी, जो महिलाओं के प्रति समाज की सोच को तोड़ते हुये देश के लाखों किसानों के लिये प्रेरणास्रोत बन गई हैं।
महाराष्ट्र के अकोला जिले में रहने वाले कुछ किसानों की कहानी जो समूह बनाकर तमाम मुश्किलों से जूझते हुए अपने सदस्य किसानों के लिए आमदनी के रास्ते तलाश लिया है।
खेती के सिकंदर में देखिए राजस्थान के सीकर जिला में रहने वाले कुछ ऐसे किसानों की कहानी जिन्होंने करोना काल में न केवल नए आईडिया के साथ प्रयोग किया बल्कि संकट के समय को अवसर में बदल दिया।
करनाल के तरावड़ी में रहने वाले किसान विकास कुमार चौधरी आज ऐसे युवाओं के लिए एक सीख हैं जो खेती किसानी में अपना करिअर बनाना चाहते हैं। विकास समय के साथ नई तकनीक की सहायता से समूह बनाकर खेती कर रहे है और दूसरे किसानों के लिए मिसाल पेश कर रहे है।
मंडी डॉट कॉम की खास पेशकश खेती के सिकंदर में मिलिए मेरठ के रहने वाले एक ऐसे किसान से जिनके पिता को लगा था की पढाई पूरी होने के बाद बेटा शहर में अच्छी नौकरी करेगा, लेकिन बेटे ने अच्छी भली नौकरी छोड़कर अपने पिता की राह चुनी और खेती करने लगा।
खेती के सिकंदर में मिलिए दो ऐसे युवा से जिन्होंने मेडिकल, इंजीनियरिंग या फिर बिजनेस के क्षेत्र में अपना करियर ना बनाकर खेती को सस्टेनेबल बनाने की दिशा में पशुपालन के साथ-साथ एग्रो टूरिज्म पर काम कर रहे हैं।