खेती से जुड़े कई ऐसे मसले होते हैं, जिन्हें समझने के लिए सवाल उठाना जरूरी होता है और इन्हीं सवालों के जवाब में वे समाधान निकलते हैं, जिनके जरिये किसान अपनी समस्याओं को पीछे छोड़ सफलता की राह पर निकल पड़ता है। इसी सोच के कारण महीने के एक रविवार मंडी डॉट कॉम में पूरा एपिसोड पैनल चर्चा का होता है, जिसमें दो विषय विशेषज्ञ एक कार्यक्रम संचालक के साथ किसी एक विषय पर बारीकी से बातचीत करते हैं।
Mandi.com: पैनल चर्चा - Episode- 254
कृषि विपणन में ऑनलाइन माध्यम का इस्तेमाल किसानों के लिए बाजारों की खोज और उन्हें मिलने वाली कीमत के पूरे समीकरण को आमूलचूल बदल सकती है। लेकिन भारत जैसे विशाल देश और यहां के किसानों की साधनहीनता को देखते हुए यह कल्पना भी आकाश कुसुम ही है कि पूरे देश की एग्री मार्केटिंग (Agri Marketing) आने वाले कुछ महीनों या सालों में ऑनलाइन हो जाएगी। ऐसे में कृषि में ऑनलाइन मार्केटिंग के अवसर क्या हैं और इसका भविष्य क्या है, इसी बारे में मंडी डॉट कॉम ने विस्तार से चर्चा की एसएफएसी के पूर्व प्रमुख और अब एग्री आंत्रप्रेन्योर बन चुके प्रवेश शर्मा (Pravesh Sharma) और समृद्ध किसान एफपीसी के डायरेक्टर सुरेंद्र चौहान (Surendra Chauhan) सेः
किसान उत्पादक कंपनियां इस समय सरकार की कृषि योजनाओं के केंद्र में हैं। इसलिए सरकार की ओर से हर पहलू पर उनके काम को आसान बनाने के लिए कई योजनाएं चल रही हैं और कई आने वाली हैं। लेकिन एफपीसी इन योजनाओं का लाभ तब तक नहीं उठा सकते जब तक उन्हें इनके बारे में और इनका उपयोग करने के बारे में पूरी जानकारी न हो। इसी संदर्भ के साथ इस अंक में कृषि कारोबार विशेषज्ञ ऋत्विक बहुगुणा ने मंडी डॉट कॉम के साथ विस्तार से बातचीत कीः
देश में कई किसान उत्पादक कंपनियां (FPC) ऐसा जबर्दस्त काम कर रही हैं कि पेशेवर कंपनियां भी उन्हें देख कर दांतों तले उंगलियां दबा लें। ऐसी ही एक कंपनी है कोलकाता के बगल के जिले 24 परगना की भांगुर वेजिटेबल एफपीसी (Bhangur Vegetable FPC)। इस कंपनी ने न सिर्फ मंडी लाइसेंस लेकर सब्जियों का अपना स्टॉल लगाया, बल्कि 100 से ज्यादा सुफल बांग्ला स्टोर के जरिए भी अपना उत्पाद बेच रही हैं। यहां तक कि इसने सफलतापूर्वक सब्जियों का निर्यात भी किया है। मंडी डॉट कॉम के इस अंक में कहानी इसी एफपीसी कीः
किसान उत्पादक संगठन दरअसल उसी तरह की कंपनियां बनाते हैं, जिस तरह कोई भी कंपनी बना सकता है। जाहिर है कि कंपनी है, तो कारोबार भी होना चाहिए और वह इस तरह होना चाहिए कि कंपनी को मुनाफा है, नहीं तो कंपनी टिकाऊ नहीं हो सकती। ऐसे में एफपीओ के सामने कारोबार के क्या विकल्प है, जहां से वह पैसे बना सकती है, इसी मुद्दे पर अमित नाफडे और सुरेंद्र चौहान के साथ बातचीत...
किसान उत्पादक संगठन यानी एफपीओ अपने सदस्यों से उपज की खरीद कर उसे बड़े खरीदारों को बेच देते हैं, लेकिन यदि वे सीधे उपज बेचने की जगह उसका मूल्य वर्द्धन कर उसे बेचें, तो उनके मुनाफे में खासी बढ़ोतरी हो सकती है। लेकिन मूल्य वर्द्धन क्या इतना आसान है? क्या है इसकी चुनौतियां और एफपीओ कैसे ढूंढ सकते हैं अपने मूल्य वर्द्धित उत्पादों के लिए बाजार? इसी विषय पर हमने विस्तार से चर्चा की मप्र में मंडला जिले से माहिष्मति एफपीसी के सुरेंद्र गुप्ता और राजस्थान के अजमेर से कृषि विकास संस्थान के जीतेंद्र चतुर्वेदी के साथ।
किसानों की आमदनी दोगुना करने के लिए केवल कृषि पर आश्रित नहीं रहा जा सकता। खास कर ऐसे इलाकों में जहां जलभराव की या खारे पानी की समस्या है। ऐसी जगहों पर रहने वाले किसानों के लिए मछली पालन एक शानदार विकल्प है, जिससे वे बेकार पड़ी जमीन से भी लाखों रुपये कमा सकते हैं। इस विकल्प के बारे में बता रहे हैं हरियाणा सरकार में मत्स्य पालन विभाग के निदेशक पीएस मलिक और फिशरी आंत्रप्रेन्योर नवीन शर्मा।
किसान उत्पादक संगठन आजकल सरकार और नीति निर्माताओं के फोकस में है, तो जाहिर उनके लिए खास सुविधाओं और योजनाओं की भी कमी नहीं है। लेकिन बहुत बार किसान समूहों को इस विशेषाधिकार की जानकारी ही नहीं होती। मंडी डॉट कॉम के इस एपिसोड में कृषि विकास प्रशिक्षण संस्थान, बुलढाणा के सीईओ अमित नाफडे और गुजरात के पाटन से बनास एफपीसी के सीईओ कर्षणभाई जडेजा ने ऐसी ही योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
कोरोना महामारी के कारण हुए लॉकडाउन और उसके बाद की आर्थिक गतिविधियाें ने समाज के लगभग हर आर्थिक वर्ग की आदमनी में कटौती कर दी है। कई नौकरियां गई हैं और करोड़ों लोगों के वेतन में कटौती हुई है। ऐसे में मंडी डॉट कॉम में हमने एक ऐसी खेती पर चर्चा की, जिसके लिए न तो मिट्टी की जरूरत है न खेतों की। 10*10 के एक कमरे में आराम से ये खेती हो सकती है और अतिरिक्त आमदनी का एक साधन दे सकती है।
किसान उत्पादक संगठनों के बारे में हर वो जानकारी जो आप चाहते हैं, जैसे कैसे इनका गठन होता है, कैसे ये कारोबार कर सकते हैं या फिर इन्हें किन चुनौतियों से जूझना पड़ सकता है। इस बारे में मंडी डॉट कॉम में हमने चर्चा की मध्य भारत एफपीसी कंसोर्शियम के सीईओ योगेश द्विवेदी और एरोमा ऑर्गेनिक एफपीसी के डायरेक्टर मोहन भिसे से।
कृषि सुधारों का अनाज, तिलहन और दलहन पैदा करने वाले किसानों पर किस तरह का असर होगा, यह चर्चा हमने काफी की है। लेकिन सब्जी किसानों पर इसका क्या असर होगा, क्या सब्जियों-फलों की वेयरहाउसिंग में भी निजी निवेश का रास्ता खुलेगा? सब्जी किसानों के लिए मार्केटिंग में तकनीक का इस्तेमाल कितना फर्क पैदा करेगा, इन्हीं विषयों पर चर्चा की हमने सनशाइन वेजिटेबल्स के फाउंडर प्रमोटर कर्नल सुभाष देशवाल और कृषि कारोबार पर सलाह देने वाले कंसल्टेंट आलोक श्रीवास्तव से।
कोरोना काल में वैसे तो सभी किसानों के लिए कई चुनौतियां पेश आईं, लेकिन सब्जी किसानों के लिए यह चुनौती कुछ और ज्यादा थी, क्योंकि उनके पास अपने माल को बेचने के लिए समय नहीं होता। इस एपिसोड में हमने ऐसी मुश्किल परिस्थितियों में सब्जी किसानों के लिए मौजूद विकल्पों और आगे के लिए मिली सीख पर बात की प्रगतिशील सब्जी किसान प्रतीक शर्मा और एग्री कंसल्टेंट सुनील सिंह से।
केंद्र सरकार द्वारा घोषित कृषि सुधारों और उसके बाद जारी अध्यादेशों के मुद्दे पर हुई इस बातचीत में कृषि कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स के एमडी और सीईओ विजय कुमार तथा केंद्र सरकार में पूर्व कृषि सचिव सिराज हुसैन ने कहा कि सरकार को सभी वेयरहाउस नियामक डब्ल्यूडीआरए के अंदर रजिस्टर करना चाहिए और ईएनडब्ल्यूआर अनिवार्य किया जाना चाहिए।
केंद्र सरकार ने जिन कृषि सुधारों की घोषणा की है, वह वास्तव में किसानों की नजर में कितना फायदेमंद है। किसानों को इन घोषणाओं पर क्या कोई शंका है और यदि है, तो उन शंकाओं का क्या समाधान है। इन्हीं बातों पर विस्तृत चर्चा हिंदू बिजनेस लाइन के सीनियर डिप्टी एडिटर शिशिर सिन्हा और मध्य प्रदेश के 44 जिलों में काम कर रहे 100 से ज्यादा एफपीसी के कंसोर्शियम मध्य भारत एफपीसी के सीईओ योगेश द्विवेदी के साथ।
हर्बल खेती के विख्यात विशेषज्ञ डॉक्टर राजाराम त्रिपाठी और पद्मश्री जैविक किसान भारत भूषण त्यागी मंडी डॉट कॉम के साथ हुई इस बातचीत में इस बात पर एकमत हैं कि कोरोना महामारी ने इन दोनों तरह की खेती के लिए नए आयाम खोल दिये हैं क्योंकि एक ओर तो हर्बल खेती की विदेशों में मांग बढ़ी है, वहीं जैविक खेती कम लागत में प्रकृति के साथ तालमेल बिठा कर चलने का रास्ता बताती है।
जाने-माने कृषि अर्थशास्त्री डॉ अशोक गुलाटी ने मंडी डॉट कॉम के साथ खास बातचीत में कोरोना लॉकडाउन के दौरान मोदी सरकार द्वारा कृषि सुधारों से संबंधित कृषि सुधारों को 1991 के आर्थिक सुधारों के समकक्ष बताया और कहा कि इससे आने वाले समय में बड़े पैमाने पर कृषि में निजी निवेश का रास्ता खुलेगा।
नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने मंडी डॉट कॉम को दिये गये साक्षात्कार में देश की कृषि योजनाओं के बारे में विस्तार से बातचीत की और साथ ही 2020-21 के आम बजट में कृषि क्षेत्र के लिए घोषित 16-सूत्री कार्यक्रमों पर सरकार की तैयारियों का भी खुलासा किया।