खेती से जुड़े कई ऐसे मसले होते हैं, जिन्हें समझने के लिए सवाल उठाना जरूरी होता है और इन्हीं सवालों के जवाब में वे समाधान निकलते हैं, जिनके जरिये किसान अपनी समस्याओं को पीछे छोड़ सफलता की राह पर निकल पड़ता है। इसी सोच के कारण महीने के एक रविवार मंडी डॉट कॉम में पूरा एपिसोड पैनल चर्चा का होता है, जिसमें दो विषय विशेषज्ञ एक कार्यक्रम संचालक के साथ किसी एक विषय पर बारीकी से बातचीत करते हैं।
Mandi.com: पैनल चर्चा - Episode- 236
अपनी फसलों को हार्वेस्टिंग के समय मजबूरी में बेचने से बचना और उन्हें सही समय पर बेचने के लिए उचित भंडारण व्यवस्था किसानों के लिए हमेशा से बहुत अहम मुद्दा रहा है। केंद्र सरकार ने और कई राज्य सरकारों ने भी इस ओर काफी ध्यान दिया है और कोलैटरल फाइनेंसिंग यानी वेयरहाउस में रखे माल पर बैंकों से कर्ज को आसान बनाना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इसी मसले पर हमने विस्तृत बातचीत की एनईआरएल के एमडी व सीईओ केदार देशपांडे और आईसीआईसीआई बैंक के ग्रामीण एवं समावेशी बैंकिंग विभाग के प्रमुख अभिजीत साहा से।
आम बजट 2020-21 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने भंडारण और आपूर्ति शृंखला मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं। कृषि जगत पर इन घोषणाओं के दूरगामी परिणाम क्या होंगे, इसे समझने के लिए हमने वेयरहाउसिंग नियामक डब्ल्यूडीआरए के चेयरमैन पी श्रीनिवास से विस्तृत बातचीत कीः
एनईआरएल के एमडी केदार देशपांडे ने एनसीडीईएक्स के साथ विस्तृत बातचीत में बताया कि इलेक्ट्रॉनिक निगोशिएबल वेयरहाउसिंग रिसीट किस तरह किसानों के लिए समय पर फंड उपलब्ध कराने में एक अहम भूमिका निभा रहा है और इसमें बैंकों के साथ किस तरह तालमेल बिठाने की आवश्यकता हैः
बड़े शहरों की भागमभाग में एक बड़ी संख्या ऐसे लोगों की हो चुकी है जो जिंदगी का सुख-चैन वापस पाने के लिए गांवों की ओर लौटना चाहते हैं, खेतों की ओर लौटना चाहते हैं... लेकिन जमी-जमाई गृहस्थी और बच्चों की पढ़ाई की चिंता उन्हें आगे बढ़ने की हिम्मत करने नहीं देती... तो ऐसे तमाम लोगों को हमारा ये खेती का सिकंदर ज़रूर देखना चाहिए... क्योंकि आज हम ऐसे फसलों की खेती दिखाने जा रहे हैं, जो आप कहीं भी रहकर कर सकते हैं...
किसान उत्पादक संगठनों का मॉडल शानदार है और छोटे तथा सीमांत किसानों के लिए वरदान है। इसके बावजूद अपनी शुरुआत के दशक भर बाद भी एफपीसी संख्या और गुणवत्ता, दोनों मोर्चों पर वैसी सफलता हासिल नहीं कर सकी हैं, जैसी उन्हें करनी चाहिए थी। क्यों? इसी विषय पर आज की हमारी चर्चा में भुवन भास्कर के साथ हिस्सा ले रहे हैं मध्य भारत एफपीसी के सीईओ योगेश द्विवेदी और एनईआरएल की मंजू पांडे।
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पर देश में होने वाली बहस वैसे तो पुरानी है, लेकिन किसानों की आमदनी बढ़ाने के लक्ष्य और खेती में तकनीक और मशीनों की बढ़ती उपयोगिता के मद्देनजर इस बहस में कई नए आयाम जुड़ चुके हैं। इन्हीं आयामों पर दैनिक जागरण के वरिष्ठ पत्रकार एसपी सिंह और कोटा के कृषि उद्यमी दिनेश मलिक के साथ भुवन भास्कर की चर्चा...
विश्व निवेशक सप्ताह 2019 के मौके पर एनसीडीईएक्स के एमडी विजय कुमार ने मंडी डॉट कॉम से किसानों में वायदा कारोबार के प्रति जागरूकता के महत्व और इस बारे में कंपनी की योजनाओं के बारे में बातचीत की।
जैविक खेती और प्राकृतिक खेती के बीच क्या कोई विरोधाभास है या दोनों एक-दूसरे के सहयोग से की जा सकती हैं। इसी विषय पर फार्मर संस्था के जगपाल सिंह और वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडेय के साथ एक परिचर्चा-
करीब 4 दशकों से प्राकृतिक खेती के प्रयोग कर रहे प्रगतिशील किसान भारत भूषण त्यागी और वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे हालिया बजट में जीरो बजट प्राकृतिक खेती की ओर लौटने के सरकार के इरादे पर चर्चा कर रहे हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन द्वारा पेश आम बजट 2019 में खेती, किसानी के लिहाज से कौन सी महत्वपूर्ण घोषणाएं हुईं और उनका परिणाम आने वाले दिनों में किस तरह देखा जा सकता है, इस पर चर्चा हिंदू बिजनेस लाइन के सीनियर डिप्टी एडिटर शिशिर सिन्हा और भारतीय खाद्य एवं कृषि परिषद के अध्यक्ष एम जे खान के साथ।
किसानों के लिए डायेरक्ट मार्केटिंग एक ऐसा जरिया है, जिससे वे न केवल अपनी आमदनी में वृद्धि कर सकते हैं, बल्कि बाजार से अपनी शर्तों पर व्यवहार कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए तैयारी किस तरह की जानी चाहिए और कौन सी चुनौतियां हैं जो इस राह पर चलने वाले किसानों के सामने आ सकती हैं, इसी विषय पर चर्चा कर रहे हैं डायरेक्ट मार्केटिंग विशेषज्ञ सुनील सिंह और जिंद के किसान नीरज ढांडा।
बजट में खेती के लिए क्या नई घोषणाएं हो सकती हैं या दूसरे शब्दों में कहें कृषि क्षेत्र की कायापलट करने के लिए कौन सी प्राथमिकताएं तय किए जाने की आवश्यकता है, इसी मसले पर पैनल चर्चा पूर्व कृषि सचिव सिराज हुसैन और एग्री नेशन के संपादक अरुण पांडेय के साथ
नीति आयोग के सदस्य और देश के जाने-माने कृषि विशेषज्ञ रमेश चंद ने भुवन भास्कर के साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में आने वाले 5 वर्षों के लिए मोदी सरकार की प्राथमिकताओं और कार्यक्रमों का खाका खींचा और विभिन्न मुद्दों पर सरकार की सोच जाहिर की।
2014-2019 तक किसानों और खेती को केंद्न में रख कर दर्जनों नई योजनाएं शुरू करने वाली नरेंद्र मोदी की सरकार की केंद्र में वापसी हो गई है। और भी बड़े जनादेश के साथ। तो अब वे कौन से कृषि सुधार होंगे, जो नई सरकार की प्राथमिकताओं में होंगे और कौन से पुराने कार्यक्रमों में और ज़ोर आएगा- इसी पर चर्चा कर रहे हैं पूर्व कृषि सचिव सिराज हुसैन और वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे
गुजरात के अरवली जिले में कृषि धारा एफपीसी बिना किसी सरकारी या निजी मदद के जिस तरह अपने बूते कारोबार की राह पर धीरे-धीरे कदम बढ़ा रही है, वह दूसरे कई किसानों के लिए एक प्रेरणा बन सकता है। एफपीसी ने इनपुट कारोबार से शुरुआत कर अब एनसीडीईएक्स वायदा बाजार पर खरीद-बिक्री में भी हाथ आजमाना शुरू कर दिया है।
आजादी के बाद से ही देश की विभिन्न सरकारों ने किसानों के भले के लिए कई योजनाएं लॉन्च की हैं। लेकिन किसानों की हालत कमोबेस जस के तस है। आखिर चूक कहां हुई और आगे के लिए सरकार के सामने क्या उपलब्ध विकल्प हैं। इसी मुद्दे पर एक परिचर्चा दैनिक जागरण के वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार एस पी सिंह और दिल्ली विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्राध्यापक अभिनव प्रकाश के साथ...